उल्हासनगर —
उल्हासनगर में सिंधी भाषा, कला, सभ्यता व संस्कृति के प्रति समर्पित और निरंतर प्रयासरत उल्हासनगर व्यापारी एसोसिएशन (UVA) के अध्यक्ष श्री जगदीश तेजवानी ने सिन्धी फिल्म ‘छोरियूं अगियां छोरा पुठियां’ का प्रीमियर शो आयोजित कर अपनी खास पहचान बनाई है। यह फिल्म का प्रीमियर शो बेहद ही सफल और हाउस फुल रहा, जिसने सिन्धी समाज और कला प्रेमियों का दिल जीत लिया।
सिन्धी संस्कृति का उत्सव: ‘छोरियूं अगियां छोरा पुठियां’ का शानदार प्रदर्शन
उल्हासनगर में आयोजित इस भव्य आयोजन में फिल्म के प्रीमियर का आयोजन वीटीवी प्रोडक्शन के निर्देशक दीपक वाटवानी के निर्देशन में किया गया। इस फिल्म का प्रीमियर शो खचाखच भरा था, जिसमें सिन्धी संस्कृति और कला के प्रति लोगों का उत्साह देखने लायक था।
उल्लेखनीय है कि सिन्धी भाषा व संस्कृति के प्रचार-प्रसार में सक्रिय और अग्रणी भूमिका निभाने वाले श्री जगदीश तेजवानी का मानना है कि सिन्धी फिल्में एक सरल और प्रभावशाली माध्यम हैं, जिनके जरिये युवा पीढ़ी को हमारी प्राचीन भाषा, कला और सभ्यता से जुड़ने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि सिन्धी फिल्मों का निर्माण और कलाकारों का उत्साहवर्धन जरूरी है ताकि यह सिलसिला जारी रहे और सिन्धी संस्कृति का वृहद प्रचार हो सके।
‘छोरियूं अगियां छोरा पुठियां’ वीटीवी प्रोडक्शन की रिकॉर्ड 11वीं फिल्म है, जिसका प्रीमियर शो उल्हासनगर व्यापारी एसोसिएशन (UVA) की ओर से आयोजित किया गया। इस फिल्म ने अपने सफल प्रदर्शन से दर्शकों का दिल जीत लिया। फिल्म में मुख्य कलाकार निशिता पर्यानी, भूमिका इसराणी, दिया दूसेजा सहित अनेक कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
इस शानदार आयोजन में मुख्य अतिथि वर्षा तेजवानी के साथ-साथ महेश सुखरमानी, लाल पिंजानी, अपर्णा मैडम, विजय मूलचंदानी, सुन्दर डंगवानी, रेशम बोनेजा, रमेश दयारमानी, डॉ. जयराम लुल्ला, देवीदास भारवानी और शहर की कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया। सभी ने इस आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।
शव्यापारी अध्यक्ष जगदीश तेजवानी ने इस अवसर पर कहा कि सिन्धी फिल्में हमारी भाषा, संस्कृति और सभ्यता का मजबूत माध्यम हैं और इन्हें प्रोत्साहित करना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि कलाकारों की हौसलाअफ़जाई और सिन्धी फिल्म उद्योग का विकास ही हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने का सार्थक प्रयास है। यह आयोजन और फिल्म का प्रदर्शन निश्चित ही सिन्धी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित होंगे।
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