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उल्हासनगर - भा ज पा का एक-एक कार्यकर्ता पूरी ताकत लगाकर विजय हासिल करने में सहयोग करेगा ऐसा शहर के विधायक कुमार आयलानी ने भाजपा के 40 वें स्थापना दिवस के अवसर पर कहा।

कोरोना महामारी को देखते शहर भाजपाइयों ने मास्क व सोशल डिस्टनसिंग का पालन करते हुए इस दिवस को मनाया। विधायक कुमार आयलानी इस अवसर पर भा ज पा के करोड़ों कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज पूरा देश प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में कोरोना संकट से लड़ रहा है। इस  संकट की घरी में एक-एक कार्यकर्ता पूरी ताकत लगाकर विजय हासिल करने में सहयोग करेंगें और जब तक विजय हासिल नहीं होती तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे।

इस अवसर में भाजपा के उल्हासनगर शहर के जिल्हा अध्यक्ष श्री जमनु पुरसवानी, नगरसेवक श्री महेश सुखरामानी, श्री मनोहर खेमचांदनी, श्री अजित सिंग लबाना, परिवहन समिती के पूर्व सभापती श्री होम नारायण वर्मा, जमील खान, श्री सन्नी पंजाबी आदि भाजपा पदधिकारी उपस्थित थे।

उल्हासनगर : ( आनंद कुमार शर्मा)

प्रधानमंत्री के आह्वान पर देश के सारे लोगों ने बत्ती बुझाई और दिए जलाए।  प्रधानमंत्री मोदी जी के कहे अनुसार 5 अप्रैल 2020, रात 9 बजे, 9 मिनट तक लोगों ने खिड़की या बाल्कनी से घर मे रहकर, सोशल डिस्टन्स मैंटेन करते हुये घरकी सभी लाइटें बन्द करके टॉर्च, दिये लाइटें जलाइं।
भारत माता की जय, वन्दे मातरम, जय हिंद, जय श्री राम के नारे लगे, भजन कीर्तन सिमरन करते हुए लोगों ने स्वयमस्फूर्ति से दीप प्रज्वलित किये।

उल्हासनगर में हर घर, बिल्डिंग, गली मोहल्लों में रात 9:00 बजे सब लोगों ने आपने आपने घर की सारी लाइट बंद करके कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ एकजुट होकर, कोरोना को हराने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के संकल्प को साथ दिया और उनके हर निर्णय को समर्थन देने विश्वास दिलाया।
दूसरी ओर हनुमानजी जो सारे संकटों को हारते हैं, उन्हीं के मंदिर में रात 9:00 बजे, सारी लाइट बंद कर, दीप प्रज्वलित किया गया साथ मे हनुमान चालीसा का पाठ किया गया।

आइए देखते हैं कुछ रोचक तस्वीरें और   जगमगाते शहर का एरियल विडियो।






                         



 
                   

उल्हासनगर:
                कोरोना वायरस बहुत ही खतरनाक हैं इसको जितना जल्दी हो सके ख़त्म करना चाहिये अभी भी जागरूकता की कमी हैं वायरस का फैलना आगे चलकर खतरनाक हो सकता हैं  , उल्हासनगर व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश तेजवानी व उनके सहयोगियों जय कल्याणी , सुनील भोईर , भारत बठिजा ,   ने बाज़ार में एक मीटर की दूरी पर मेडिकल , किराना , डॉक्टर्स के यहाँ सफ़ेद कलर के बॉक्स बनाना चालू हैं , व जरूरत मंदो को मास्क ,  सैनिटाइजर औऱ दवाई और कच्चा राशन किराना दुकान से लेकर  वितरित किये औऱ सभी से गुजारिश की हैं कि सभी सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करे , जरूरी हो तभी बाहर आये , अभी तक सरकार और पुलिस विभाग ने सभी क़दम बहुत ही अच्छे उठाये  हैं भारत सरकार , महाराष्ट्र सरकार , पुलिस विभाग , डॉक्टर्स , मनपा अधिकारी व सेना हम उन्हें नमन व धन्यवाद करते हैं ।





उल्हासनगर :  (आनंद कुमार शर्मा)

  महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा कोरोना प्रकोप के मद्देनजर जहां पूरे राज्य में  संचार बंदी लॉकडाउन हैं, इस परिस्थिति  में कोई भी व्यक्ति अन्न के अभाव में भूखा ना रहे उसका प्रावधान राज्य सरकार ने राशनिंग प्रणाली के तहत, अप्रैल-मई और जून, 3 महीनों तक हर व्यक्ति को 5 किलो चावल मुफ्त में देने का निर्णय लिया है।
उल्हासनगर शहर के शिधावाटप अधिकारी श्री जगन्नाथ सानप जीने हमें बताया कि हर महीने प्राधान्य कुटुंब राशन कार्ड, केशरी राशन कार्ड, लाभार्थी राशन कार्ड और अंतोदय राशन कार्ड धारकों को जिस प्रकार 2 किलो चावल ₹3 के भाव से और 3 किलो गेहूं ₹2 के भाव से प्रति व्यक्ति, हर महीने दिया जाता रहा है, उन सबको 10 अप्रैल से तीन महीनों तक 5 किलो अतिरिक्त चावल प्रति व्यक्ति मुफ्त में देने का निर्णय लिया गया हैं। इनके साथ ही जिन परिवारों का राशन कार्ड बंद है या जिनको राशन नहीं मिलता या जिन नागरिकों को राशन की सुविधा आधार से लिंक ना होने के कारण नहीं मिल पाती उन सबको भी सरकार द्वारा मुफ्त में राशन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
शहर की जनता से राशन अधिकारी ने अपील की है की राशन की दुकानों पर गर्दी ना करें सबको सरकार द्वारा दिया गया मुफ्त धन-धान्य दिया जाएगा और राशन दुकानदारों को निर्देश दिए हैं की दुकान सुबह 8:00 बजे से शाम को 8:00 बजे तक खुले रखें ताकि लोगों को इस संचारबंदी  लॉकडाउन की परिस्थिति में सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देश सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए हर एक व्यक्ति को उनके हिस्से का राशन आराम से मिल सकें।
*द न्यू आजादी टाइम्स के संवाददाता द्वारा एक खास मुलाकात में शहर के राशनिंग अधिकारी सानप साहब ने क्या कहा सुनते हैं उन्हीं की जुबानी ।*



उल्हासनगर :
कोरोना की पृष्ठभूमि पर महाराष्ट्र बंद होने के बाद, शहर के ज्यादातर निजी अस्पताल और निजी क्लिनिक आम जनता के लिए बंद हो गए हैं और इसलिए सामान्य रोगियों को असुविधा हो रहीं हैं और उन्हें परेशानियों का सामना करना पढ़ रहा है।
कोरोना के प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए काफी सारे डॉक्टर दिन रात प्रयासों में लगे हैं, लोगों की सेवा में लगे हैं जहां एक और उनके इस कार्य की सराहना पूरा शहर पूरा देश कर रहा है वहीं दूसरी ओर कुछ निजी हॉस्पिटल या निजी क्लीनिक के डॉक्टर अपनी मनमानी कर अपना स्वार्थ साध्य कर रहे है।
हर वर्ष मार्च और अप्रैल के महीने में टाइफाइड के बीमारी, मौसम बदलने से एलर्जी के तकलीफ जैसे सर्दी, खाँसी सिरदर्द के मिरिज़ो की संख्या ज्यादा होती है साथ ही जोंडिस और मिर्गी के मरीज ज्यादा देखे गए है। लेकिन आज की परिस्थितियों में गत वर्षों के आकलन से लोगों को तकलीफ़ हो रही है किन्तु शहर में निजी क्लीनिक और निजीअस्पताल में ओपीडी बंद होने के कारण मरीजों को असुविधा हो रही है और मरीज भी कोरोना के भय के कारण सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टरों के पास जाने से भी कतरा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वे निजी डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द करने की कार्यवाही तत्काल शुरू करें, जिन्होंने डिस्पेंसरियां और निजी हॉस्पिटलों में ओपीडी शुरू नहीं की हैं।
अतिआवश्यक सेवाओं में जहां डॉक्टर और अस्पतालों को सरकार द्वारा लॉकडाउन से दूर रखा गया है ताकि वह लोगों की सामान्य बीमारियों का इलाज किया जा सके, लेकिन
निजी डॉक्टर और अस्पताल इन निर्देशों का पालन नहीं कर रहें हैं, जिससे रोगियों को काफी असुविधा हो रही है।  वहीं दूसरी तरफ सामान्य बीमारियों के रोगी मेडिकल की दुकान पर जाकर अपनी तकलीफ बता कर मेडिकल से बिना डॉक्टर की पर्ची दवाइयां लेने को मजबूर हैं जिसका उनके स्वास्थ्य पर दुष्परिणाम भी हो सकता है, अगर ऐसा हुआ तो इसकी जवाबदारी कौन लेगा,
क्या स्वास्थ्य विभाग इसकी जवाबदारी लेगा ?
क्या निजी हॉस्पिटल या निजी डॉक्टर इसकी जवाबदारी लेगा ?
क्या मेडिकल जिसने बिना डॉक्टर की पर्ची के दवाइयां दी वो जवाबदारी लेगा ?
जवाब सीधा से है कि कोई भी जवाबदेही नही लगा खुद रोगी जिसे कोई सुविधा नहीं मिल पा रही वह खुद जिम्मेदार है।
आज की तारीख में जो निजी क्लीनिक है और निजी अस्पताल है वह सेवा प्रदान करने में असमर्थता दिखा रहे हैं जिसके कारण काफी लोग सरकारी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं हैं जहां उनको सुविधाएं प्राप्त नहीं हो रही आज आप  सरकारी हॉस्पिटल में जाकर देखेंगे तो वहां खाने के बात तो दूर की है पानी पीने की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है।
शहर में जो निजी क्लीनिक चालू भी है उस क्लीनिक के डॉ मरीजों से मनमानी फीस या नॉर्मल से ज्यादा फीस वसूल कर रहे हैं थोड़ी सी तकलीफ होने पर पेशेंट को डरा कर उनको या उनके परिवार वालों को कोरोना का खौफ़ दिखा कर मोटी कमाई कर रहे है।
*मौजूदा युद्ध जैसी स्थिति को देखते हुए, निजी अस्पतालों, क्लिनिक को तुरंत अपनी सेवाएं शुरू करने की आवश्यकता है,  कृपया महानगर पालिका प्रशासन स्वास्थ्य विभाग और सरकार इसकी तरफ ध्यान दें और जो नीजी डॉक्टर इस आदेश की अवमानना कर रहा है उसका लाइसेंस रद्द करें।*


                   

उल्हासनगर : (अनंद कुमार शर्मा)

कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए समूचे देश में लॉकडाउन कर्फ्यू के तहत जीवनावश्यक वस्तुओं की बिक्री चालू है। लेकिन वहां लोगों की भीड़ लग रही है और साथ ही रोजमर्रा में लगनेे वाली सब्जियों केेे दाम भी लोगों को ज्यादा देने पड़ रहे है, इसका मुख्य कारण है बजार में सब्जियों की आवक कम हुई है और सब्जी विक्रेता भी उच्च दामों में सब्जियां बेच कर मुनाफाखोरी करने लग गए हैं।

इसी के चलते लोगों की शिकायतों को देखते हुए उल्हासनगर महानगरपालिका के नगरसेविका डॉ मीना सोंडे ने 1 अप्रैल को एक नई मुहिम शुरू की जिसके अंतर्गत किसानों से ताजा और जैविक सब्जियां खरीद कर सीधे अपने वार्ड के लोगों को पहुंचाने का काम किया।

 मीना सोंडे जी ने बताया कि अप्रैल फूल के दिन हमने मुनाफाखोरी करने वाले सब्जी विक्रेताओं को अप्रैल फूल बनाया। उन्होंने बताया कि सब्जी विक्रेता लोगों से कर्फ्यू के चलते नाजायज फायदा उठा रहे है जिसपर लगाम लगाना होगा। किसानों से सीधा घर तक के मुहिम के अंतर्गत डॉ मीना सोंडे और उनके कार्यकर्ताओं ने, बाजार में जो सब्जियों का मूल्य ₹250/-  है वो उन्होंने मात्र ₹100/- लोगों के घर तक पहुंचाने का काम किया, जिसमें कुल 6 किलो सब्जियां थी 1 किलो भिंडी, 1 किलो दुद्धी, 1 किलो टमाटर, 1 किलो काकड़ी, 1 किलो शिमला मिर्च और 1 किलो बैंगन का पैकेट बनाकर अपने वार्ड के लोगों को दिया। उन्होंने बताया कि सेवा के रूप में वह यह सब्जियों के पैकेट मुफ्त में भी दे सकती थी, लेकिन अगर मुफ्त दिया जाता तो भीड़ ज्यादा हो जाती जिसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता था इसीलिए आज उन्होंने 300 परिवारों को मात्र ₹100 में सब्जियां उपलब्ध कराई ।

क्या मीना जी के इस काम को देखते हुए और भी नगरसेवक अपने अपने वार्डों के लोगों को इस प्रकार की सुविधाएं देने का प्रयास करेंगे....???

             

                                                                उल्हासनगर   : (आनंद कुमार शर्मा)                              कोरोना संक्रमण के प्रकोप से बचने के लिए सरकार ने 21 दिन का लॉक डाउन घोषित करने के पश्चात अतिआवश्यक सेवाएं जिसमें हॉस्पिटल सबसे महत्वपूर्ण है, वोही अग़र सेवा करने मे लापरवाही दिखा रहे है। आज  उल्हासनगर के सेंट्रल हॉस्पिटल में अगर कोई बीमार व्यक्ति इलाज कराने जाता है तो वहां नॉन मेडिकल स्टाफ के ना होने के कारण डॉक्टर और उनकी टीम समय पर बीमार व्यक्ति का इलाज नहीं कर पाते पेशेंट और उनके साथ आए हुए लोगों को घंटो तक इंतजार करना पड़ता है कि कब ऑफिस का स्टाफ आकर  केस पेपर निकाले और उसके बाद ही डॉक्टर उनका इलाज करें।  एसी घटना को सामने लाया हमारे शहर के समाजसेवी प्रदीप दुर्गिया ने, जिन्हें 29 मार्च को रात 9:00 बजे के करीब रस्ते पर कुत्ते ने काट लिया जब वह सेंट्रल हॉस्पिटल पहुंचे तब वहां का नजारा कुछ ऐसा था कि जिसे देखकर वह खुद दंग रह गए, उनके पहुंचने से पहले भी एक व्यक्ति जिन्हें कुत्ता काटा था वह आधे घंटे से इंतजार कर रहा था, और भी तीन मरीज कतार में बैठ कर सेंट्रल हॉस्पिटल के आफिस स्टाफ का इंतजार करते दिखे। उनके जाने के बाद जब पूछा गया कि कुत्ते ने काटा है इलाज क्यों नहीं कर रहे हो तो डॉक्टरों और उनके सहायकों ने बताया कि केस  पेपर वाला कोई नहीं है जब तक रजिस्टर में एंट्री नहीं होगी तब तक वह इंजेक्शन नहीं दे पाएंगे, काफी जद्दोजहद मशक्कत के बाद एक घंटा इंतजार करने के पश्चात एक सहकर्मी  आकर रजिस्टर में एंट्री की और उसके बाद ही डॉक्टर और उनके सहायकों ने प्रदीप दुर्गीया और उनके पहले से मौजूद तीन मरीजों और एक कुत्ते काटने के कारण पहले से बैठे आदमी का इलाज शुरू किया गया।

जब हॉस्पिटल के निवासी डॉक्टर से इसके बारे में पूछा गया अगर समय पर इलाज नही किया तो जहर फैलने का डर है और अगर रैबिज हो गया तो सामने वाले कि जान भी जा सकती है,   इस पर उन्होंने बात करने से पहले मना कर दिया, लेकिन जब सेंट्रल अस्पताल के मुख्य चिकित्सक डॉ सुधाकर शिंदे को फोन लगाया गया तब उस समय मौजूद निवासी डॉक्टर ने फोन लेकर ये जानकारी दी कि सेंट्रल अस्पताल में इस समय ओपीडी में डॉक्टर तो है परंतु नॉन मेडिकल स्टाफ नहीं है, हमने झाड़ू मारने वाले भाई को केसपेपर लिखने के लिये बिठाया है, कुत्ते काटने का इलाज या इंजेक्शन जो दिया जाएगा वो केसपेपर बनने के बाद ही दिया जाता है, क्योंकि उक्त पेपर पे इंजेक्शन के बारेमें डिटेल लिखनी पड़ती है इसलिए हम मजबूर थे कि पहले केसपेपर बनाओ बाद में इलाज सुरु किया जाएगा।

यहां एक बोहोत बड़ा प्रश्न ये उठता है कि  इस संकट की घड़ी में जहां पूरे देश में कोरोना के वजह से सारे डॉक्टर और प्रशासनिक स्टाफ दिन रात सेवा प्रदान करने मे लगा है, जहाँ पूरे देश में पूरे शहर में, अतिआवश्यक सेवाओं में हॉस्पिटल को सतर्क रहने की हिदायत दी गई है इस परिस्थिति में अगर नॉन मेडिकल स्टाफ के वजह से कोई हादसा हो जाता है तो कौन इसकी जवाबदारी लेगा....???

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