महाराष्ट्र सरकार ने गौमाता को "राज्य माता" का दर्जा दिया, लेकिन आधिकारिक प्रोटोकॉल अभी शेष स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी।

 


उल्हासनगर: 

उल्हासनगर शहर कैम्प 5 के साई वसणशाह दरबार में 16 अक्टूबर को ज्योतिर्मठ, बद्रीनाथ पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य, परम पूज्य १००८ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज का भव्य आगमन हुआ। उन्होंने उपस्थित संगत को सत्संग व प्रवचन के माध्यम से मार्गदर्शन दिया। इस अवसर पर सामाजिक संस्थाओं, संतों, पंचायते, मंत्री, प्रशासन और मीडिया के साथ विशेष बैठक का आयोजन भी किया गया। इस आयोजन की सफलता के पीछे मसन्द सेवाश्रम, रायपुर के पीठाधीश साईं जलकुमार मसन्द साहिब एवं साईं कालीराम साहिब का योगदान रहा।  स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने गौमाता को "राज्य माता" का दर्जा तो दे दिया है, मगर अभी तक कोई आधिकारिक प्रोटोकॉल जारी नहीं हुआ है। इसके बिना यह उपाधि केवल कागज़ों तक सीमित रहेगी।उन्होंने जोर देकर कहा कि गौमाता को पशु से माता और मनुष्य की श्रेणी में लाना होगा और गौमाता की हत्या को मनुष्य वध की श्रेणी में लाना पड़ेगा। जैसे ही राज्य सरकार प्रोटोकॉल जारी करेगी, संतजन मिलकर आशीर्वाद देने आएंगे।गौमाता को राष्ट्रीय माता घोषित करने के लिए 'गौ संसद' भारतीय संसद के समानांतर कार्य करेगी। हर विधान सभा क्षेत्र में "राम गोधाम" स्थापित करने का भी लक्ष्य है।  स्वामी जी ने कहा कि यदि भारत के बहुसंख्यक लोग गाय को अपनी माता मानें तो वह स्वतः राष्ट्रमाता बन जाएगी।








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