उल्हासनगर:
महाराष्ट्र में सरकार के हिंदी को अनिवार्य बनाने के फैसले का विरोध दोनों नगरों में तीव्र रूप से देखने को मिला है। उल्हासनगर और कल्याण में आज दोनों दलों — शिवसेना (उद्धव बाळासाहेब ठाकरे गट) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) — ने संयुक्त रूप से सरकार के इस फैसले का विरोध किया।
उल्हासनगर में, शिवसेना और मनसे के कार्यकर्ताओं ने शिवसेना मध्यवर्ती शाखा के बाहर सरकार के आदेश का पुतला दहन किया और जोरदार नारेबाजी की। नेताओं ने कहा कि स्थानीय भाषाओं का सम्मान जरूरी है, लेकिन बिना सहमति के हिंदी थोपना स्वीकार नहीं। इस प्रदर्शन में जिल्हा अध्यक्ष धनंजय बोड़ारे, शहर प्रमुख कुलविंदर सिंह बैस, उपशहर प्रमुख दिलीप मिश्रा, मनसे उल्हासनगर शहर अध्यक्ष संजय घुगे,मनसे के जिल्हा अध्यक्ष सचिन कदम, बंदू देशमुख, एडवोकेट प्रदीप गोडसे जैसे नेता शामिल हुए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अपना निर्णय वापस नहीं लिया, तो यह आंदोलन पूरे राज्य में फैल सकता है।
वहीं, कल्याण में, शिवसेना और मनसे के कार्यकर्ताओं ने छत्रपती शिवाजी महाराज चौक पर परिपत्रक जलाकर होळी मनाई। इस प्रदर्शन में शिवसेना उपनेता बंड्या उर्फ विजय साळवी और मनसे के प्रकाश भोईर ने हिस्सा लिया। दोनों दलों ने अपने क्षेत्र में हिंदी का सम्मान करने का संदेश दिया, लेकिन सरकार के निर्णय का विरोध किया। उन्होंने कहा कि जब तक बिना सहमति के सक्ती नहीं रुकेगी, तब तक विरोध जारी रहेगा।
इन दोनों प्रदर्शनों का मुख्य उद्देश्य था यह जताना कि स्थानीय भाषाओं का आदर जरूरी है और हिंदी थोपने का कोई भी निर्णय मंजूर नहीं। दोनों दलों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार अपने फैसले को वापस नहीं लेती, तो यह आंदोलन और बड़ा और उग्र रूप ले सकता है। इसके साथ ही, दोनों दलों ने 5 जुलाई को होने वाले बड़े आंदोलन की तैयारी भी पूरी कर ली है।
संपूर्ण महाराष्ट्र में इस मुद्दे को लेकर व्यापक असंतोष और विरोध की लहर दौड़ रही है, जो सरकार के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए दबाव बना रहा है।

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