उल्हासनगर (आनंद कुमार शर्मा)
वैश्विक कोरोना महामारी के प्रकोप के मद्देनजर सरकार ने लॉकडाउन में सभी जरूरतमंद लोगों को मुफ्त राशन मिले इसकी अच्छी व्यवस्था राशन दुकानदारों के माध्यम से की है। इस योजना को अमल में लाने का श्रेय सही मायने में राशन दुकानदार और उनके यहाँ काम करने वाले कर्मचारियों को जाता है जिन्हें सरकार ने कोरोना वारियर्स का नाम देना भूल गयी है। राशन दुकानदार और उनके कर्मचारी सीधे लोगों के संपर्क में आकर रोज सैकड़ों लोगों को राशन वितरण करते है इसके बावजूद उनको कोई संरक्षण नही है, अगर इनको कोरोना संक्रमण या उससे मृत्यु हो जाती है तो सरकार की तरफ से कोई योजना नही है।
राशन दुकानदारों के शिकायत पर एसोशिएशन ने पत्र द्वारा अन्न नगरी विभाग पुरवठा ग्राहक संरक्षण विभाग, मंत्रालय और ठाणे जिल्हा 'फ परिमंडल' को लिखित सनसनीखेज खुलासा किया है, जिसमे दुकानदारों पर राजनीतिक दबाव डालकर कई राजनेता, नगरसेवक, ब्लैकमेलर, कई सामाजिक संस्थाएँ, और असामाजिक तत्व के लोग गरीबो को बांटने के नाम पर मुफ्त में राशन की जबरदस्ती मांग करते है, जिससे वो सब अपना अपना नाम देकर राजनीति चमका सकें और वाहवाही बटोर सके। दुकानदारों का बोलना है कि उन्हें जितना कोटा आता है वो लोगों के नाम पर आता है और अगर राजनैतिक दबाव पर उनको देते है तो लोगों को कम देना पड़ता है, जिससे जनता की नाराजगी का सामना भी करना पड़ता है।
ठाणे जिल्हा शिधावाटप दुकानदार कृति समिती, ठाणे फ परिमंडल के अंतर्गत १४०० राशन दुकानदारों की तरफ से सरकार के सामने अपनी मांगे रखी है जिसमें तुरंत प्रभाव से राजनीतिक दबाव बंद करने और उसपर नियंत्रण लाया जाए तथा सरकार की तरफ से हर दुकानदार या उनके कर्मचारी को अगर कोरोना संक्रमण से मृत्यु होती है तो जिस तरह डॉक्टर, नर्स, प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस प्रशासन, आदि को २५-५० लाख का बीमा संरक्षण दिया गया है उसी तरह इनको भी बीमा संरक्षण देने का आश्वासन दिया जाए। अगर मांग पूरी नही होती है तो ठाणे जिल्हा के १४०० दुकान १ मई २०२० से दुकान बंद करेंगें।
ठाणे जिल्हा राशन दुकानदार समिती के अध्यक्ष से सीधी मुलाकात, सुनते है क्या है उनका कहना।
Post a Comment