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(आनंद कुमार शर्मा)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, ११ मई २०२०, को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग। इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में लॉकडाउन को आगे बढ़ने, कोरोना को हराने, प्रवासी मजदूरों, आर्थिक अर्थव्यवस्था आदि मुद्दों पर विचार विमर्श कर सबकी राय जानी।

महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने लॉकडाउन बढ़ाए जाने के पक्ष का किया समर्थन, इसके विपरीत गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने लॉकडाउन बढ़ाने का विरोध किया हैत था दूसरी तरफ तेलंगाना और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा अभी ट्रेनें चलाई गयी तो संक्रमण तेजी से फैल सकता है इसलिय इन राज्यो में ट्रेन सेवा सुरु न करें। धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की लोग अपने घर जाना चाहते हैं, यह स्वाभाविक है और इंसानी फितरत है, फिर भी हमे ध्यान देना है कि संक्रमण गांवों तक न पहुंचे।

इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिग में कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण भी में मौजूद थे। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्रियों से आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल पर चर्चा की और इसे डाउनलोड कराने पर जोर दिया।




उल्हासनगर (आनंद कुमार शर्मा)

उल्हासनगर महानगरपालिका क्षेत्र में कई दिनों से अलग अलग राजनीतिक दलों द्वारा मनपा आयुक्त के सामने मॉनसून पूर्व पुराने और जर्जर इमारतों, घरों की रिपेयरिंग के लिए लगने वाले सामानों की दुकान खोलने और आवश्यक समान लोगों को मुहय्या कराने के लिए प्रस्ताव रखा था जिसे आज १० मई २०२० के दिन मनपा आयुक्त श्री सुधाकर देशमुख ने आगामी दो दिनों के लिए मान्यता दी है।

बरसात का मौसम लगभग जून के आगमन से सुरु हो जाता है और एक बार बारिश सुरु होने पर रिपेयरिंग का मौका नही मिलता। शहर में बोहोत सारी पुरानी जर्जर और धोकादायक इमारतों को तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है, अगर समय पर इसकी मेंटेनेन्स या रिपेयरिंग की गई तो बरसात में इमारतों को होने वाले खतरे से बचाया जा सकता है। इसी के मद्देनजर ११ मई, सोमवार और १२ मई, मंगलवार को शहर में सुबह ८:०० बजे से दोपहर २:०० बजे तक इमारतों की मरम्मत के लिये आवश्यक सामग्री की दुकानें जैसे लोहा, सीमेंट, पत्रा, शटर्स, स्लाइडिंग डोअर्स, इलेक्ट्रिक मटेरियल, पेंटिंग, वॉटरप्रूफिंग  मटेरियल, मोटर रिवाईडिंग, तालपत्र, प्लम्बिंग और प्लम्बिंग के लिए लगने वाले सामानों की दुकानें खुली रहेगी।

लॉकडाउन कार्यकाल में राज्य शासन के दिशानिर्देश अनुसार और मनपा के आदेश अनुसार कोरोना बाधित कंटेन्मेंट क्षेत्र के बाहर की दुकानें सिर्फ होम डिलीवरी या साइट डिलीवरी के लिए ऑर्डर लिए जाएंगे। कोई भी दुकानों पर सामानों की बिक्री काउंटर पर न करें और लॉकडाउन के नियमों का जैसे सोशल डिस्टन्स (सामाजिक दूरी), फेस मास्क और अन्य नियमों का पालन होगा तो ही इन दुकानों को आगे अनुमति देने पर विचार किया जा सकता है। इस अनुमति के साथ ही प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि इन दो दिनों के दरम्यान अगर नियमों का पालन न होता दिखाई दिया तो तुरंत ही अनुमति रद्द कर दी जाएगी और उचित कार्यवाही करने के लिए पुलिस प्रशासन और प्रभाग अधिकारी सक्षम है।

शहरवासियों से आव्हान है कि, जरूरत हो तो ही घर से बाहर निकलें और सिर्फ पुरानी बिल्डिंग या घरों को बारिश में होने वाली दिक्कतों से बचाने के लिए और रिपेयर काम कराने हेतु  अनुमति दी गईं है, सरकार और प्रशासन लॉकडाउन के दिशानिर्देशों के पालन पर सख्त नजर रखें हुए है, नए बांधकाम, अवैध निर्माणा या नया कंस्ट्रक्शन ना करें।

घर पर रहें, सुरक्षित रहें।




उल्हासनगर (आनंद कुमार शर्मा)

पुरे देश मे कोरोना संक्रमण के प्रकोप से बचने के लिए लॉकडाउन के बावजूद पिछले ३० दिनों में देश मे १० गुना तेजी से कोरोना पॉजिटिव के मरीजों में इजाफा हुआ है। सरकार, स्वस्थ मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन न करने और छोटी - छोटी गलतियों से संक्रमण बढ़ रहा है।

इसी के चलते, उल्हासनगर शहर में शुक्रवार, ८ मई २०२०, की देर रात १५ नए कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए है, जिससे शहर में डर का और घबराहट का माहौल हो गया है। अब उल्हासनगर में कुल संख्या ३३ हो गयी।
यह १५ नए कोरोना के मामले इस प्रकार है :
१० सम्राट अशोक नगर
४ ब्राह्मण पाड़ा
१ गोल मैदान परिसर

बताया जा रहा है कि सम्राट अशोक नगर, उल्हासनगर-३, की कोरोना मरीज के संपर्क में आने से ज्यादा हुआ यह आंकड़ा। यह वही स्त्री है जिसे कल्याण के मीरा हॉस्पिटल ने लापरवाही दिखाते हुए उल्हासनगर छोड़ दिया था, बाद में यह स्त्री सेंट्रल हॉस्पिटल से लेकर कई जगह अपनी रिपोर्ट लेकर चक्कर लगा चुकी है। संभावना जताई जा रही है कि इसके संपर्क मैं कई और व्यक्ति आये है जो आने वाले समय मे कोरोना ग्रस्त हो सकते है।

शहर वासियों से अपील है कि वो अपने आपको सावधान रखें, घर पर रहे, अगर थोड़े भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत खुद होकर जाँच कराए। घबराने की कोई बात नही, समय पर जांच कराकर आप इस संक्रमण से ठिक हो सकते है और इसे आगे फैलने से रोका जा सकता है।

आपको या आपके परिवार को, या आपके पड़ोसियों में से किसी को भी कोई लक्षण दिखाई देते है तो तुरंत उनकी जांच नजदीकी आरोग्य केंद्र में कराए।

अगर है इनमे से कोई लक्षण तो तुरंत जांच कराए :-
१. बुखार (कोई भी तरह का भुखार)
२. खांसी - छींक (बार बार खांसना और छींकना)
३. सांस लेने में कठिनाई
४. अस्वस्थता और मांसपेशियों में दर्द और थकान होना
५. गैंडा नासूर (नाक से बलगम जैसा निकलना)
६. गले में खराश, सरदर्द, जबान पर कोई स्वाद न आना और नाक से गंध/सुगंध ना आना
७. गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल (जठरांत्र संबंधी) के लक्षण जैसे मतली, उल्टी, दस्त लगना इसके साथ मे, ठंड लगना / ठिठुरना / कपकपी जैसा महसूस होना।

घर पर रहें, सुरक्षित रहें।

उल्हासनगर (आनंद कुमार शर्मा)

सरकार के आदेश और दिशानिर्देश अनुसार पर-प्रांतियो और अप्रवासी मजदूरों के अपने अपने मूल निवास स्थान - गांव जाने के लिए पिछले २-३ दिनों से शहर में अफरा तफरी का माहौल देखा गया है।

वैश्विक नॉवल कोरोना संक्रमण के प्रकोप की रोकथाम के लिए पूरे देश मे लॉकडाउन - कर्फ्यू लागु है। पिछले ४५ दिनों से बिना कमाई के पर-प्रान्ती दिहाड़ी मजदूरों और कारीगरों की माली हालत गंभीर होने औऱ रोजगार की समस्याओं के मद्देनजर सरकार ने सबकों अपने अपने मूल निवास स्थान उनके पैतृक गांव जाने के लिए कई दिशानिर्देशों के तहत फॉर्म भरने और मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए हजारों की तादाद में लोग यहाँ वहाँ भटकने लगें थे, जिससे संक्रमण और ज्यादा फैलने का डर बना हुआ है।

ऐसी स्थिति को देखते हुए उल्हासनगर ट्रेड एसोसिएशन और जीन्स व्यापारी एसोसिएशन उल्हासनगर-५ कि तरफ से दिनेश लेहरानी और राजु दुर्गिया ने अलग अलग कारखानों में काम करने वाले कारीगरों को अफरा-तफरी ना करने, किसी के बहकावे में ना आने की तथा आपस मे शांति और सयम बनाए रखने का आव्हान किया है। दिनेश लेहरानी जी का कहना है कि सबको गांव भेजा जाऐगा, अपने परिवारों के पास कारीगर सकुशल पहुँच जाएं इसमें टी.ओ.के. की पूरी टीम लगी है। मजदूरों और कारीगरों से कानून का पालन करने, पुलिस प्रशासन ओर महानगरपालिका का सयोग करें, कारीगरों की तादाद बोहोत ज्यादा होने के कारन थोड़ी दिक्कत आरही है लेकिन सरकार पूरी सायहता करने मे लगी है। सावधानी और सयम से काम ले वार्ना अगर किसी कारीगर को संक्रमण हुआ तो बड़ी समस्या हो सकती है।

प्रशासन ने रास्तों पर मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए भटकते लोगों को और डॉक्टर तथा हॉस्पिटलों  के बाहर लंबी लंबी कतार बिना सोशल डिस्टनसिंग का पालन करते देख, अब मेडिकल प्रमाणपत्र नही लेने का फैसला किया है। अब सिर्फ पुलिस के पास जिन लोगों ने फॉर्म भरा है उनको गांव रवाना करने से पहले सरकार और प्रशासन द्वारा मेडिकल स्क्रीनिंग की जाएगी।

सुनते है कारीगरों से क्या आव्हान किया है उल्हासनगर ट्रेड एसोसिएशन के दिनेश लेहरानी और राजु दुर्गिया ने।




उल्हासनगर (आनंद कुमार शर्मा)

मुम्बई में काम करने वाले और यहां के महानगरपालिका क्षेत्र में रहने वालों को ८ मई से शहर में प्रवेश पर रोक लगाने के आदेश दिए जाने के २४ घंटों के भीतर ही यह फैसला वापस लिया गया और जब तक उन सबकी रहने और खाने की उचित व्यस्वस्था ना हो जाये तब तक के लिए सीमाबन्दी का निर्माण स्थगित किया गया है।
मुम्बई के सरकारी और निजी अस्पतालों में काम करने वाले, वहाँ के महानगरपालिकाओं में काम करने वाले, बैंको में काम करने वाले और कुछ अन्य संस्थानों में काम करने वाले तथा अतिआवश्यक सेवाओं में कार्यरत लोग जो रोजाना कल्याण, उल्हासनगर, अम्बरनाथ और बदलापुर से आना जाना करते है उनकी संख्या कई हजारों में है।
ज्यादातर ये देखा गया की यहाँ के महानगरों में कोरोना संक्रमण फैलने का मुख्य कारण लगभग मुम्बई से रोजाना आने जाने वाले कर्मचारियों द्वारा हो रहा है। इसी कारण मंगलवार को कल्याण-डोंबीवली और उल्हासनगर महानगरपालिका के आयुक्त ने ८ मई से सीमाबन्दी करने का निर्णय लिया था। इस निर्णय के मद्देनजर बोहोत सारे सवालों का निवारण तुरंत नही होता देख, दोनों महानगरों ने अगले आदेश तक इस पाबंदी को रोक दिया है। साथ ही ये भी स्पष्ट कर दिया कि जितने भी लोगो काम करने जाते है उन्हें अपना पूरा ब्यौरा तय फॉरमेट में महानगरपालिका को देना होगा जिससे शीघ्र अति शीघ्र सबका रहने खाने का इंतज़ाम वहीं कियाजा सके औऱ उसके बाद पूरी तरह सीमाबन्दी की जा सके।
बोहोत सारे कर्मचारियों का यह कहना था कि अगर उनको उचित व्यवस्था हो जाती है तो उनका भी रोजाना आने जाने का समय और झंझट बचेगा।





उल्हासनगर (आनंद कुमार शर्मा)

कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए, अलग अलग प्रान्त में फसे हुए पर-प्रांतियो और अप्रवासी मजदूरों को अपने अपने गांव जाने के लिए सरकार द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य करने के बाद शहर में प्राईवेट डॉक्टरों की लूट होने लगी जिसे देखकर कई समाजसेवियों ने इसकी शिकायत की।
उल्हासनगर के सेंट्रल हॉस्पिटल में मेडिकल सर्टिफिकेट मुफ्त में दिया जा रहा है, तो वहाँ लोगों की लंबी लंबी कतारें लगी हुई है, इस चिलचिलाती धूप में बोहोत से लोग जिनके पास प्राइवेट क्लिनिक में फीस देने के लिए नही है वो वहाँ मज़बूर दिखाई दिए।
परिस्थितियों को देखते हुए और कई शिकायतों के मद्देनजर उल्हासनगर मेडिकल एसोसिएशन ने अपने शहर के तमाम प्राइवेट डॉक्टरों को आव्हान किया कि इस महामारी के समय हमें अपने अप्रवासी मजदूर भाइयों का साथ देना है और अपने प्राइवेट क्लिनिक में मेडिकल सर्टिफिकेट तय फॉरमेट में देना का  ₹१००/- से ज्यादा नहीं लेना अन्यथा एसोसिएशन उस पर कार्यवाही कर सकती है।
उल्हासनगर महानगरपालिका आयुक्त ने उल्हासनगर मेडिकल एसोसिएशन के वालंटियर्स डॉक्टरों को आग्रह किया है वो शहर को कोरोना मुक्त करने और अप्रवासी मजदूरों को मुफ्त मेडिकल सर्टिफिकेट कैम्प अपने सहुलियत के हिसाब से लगाये।
इस आव्हान और आग्रह के बाद शहर के कई डॉक्टरों ने आगे आके इसका समर्थन करते हुए गरीब मजदूरों को मुफ्त में जांच प्रमाण पत्र दिया जाने लगा है।

आज से यहाँ मिल रहे है मुफ्त में मेडिकल सर्टिफिकेट
१. सेंट्रल हॉस्पिटल
२. भागवंती नवानी स्टेज, गोल मैदान, उल्हासनगर-१
३. प्रभाग समिती-२, सपना गार्डन, उल्हासनगर-३
४. प्रभाग समिति-३, व्हि. टी. सी. ग्राउंड, उल्हासनगर-४
५. प्रभाग समिती-४, नेताजी चौक, उल्हासनगर-४
६. यात्री निवास, महानगर पालिका वार्ड ऑफिस, उल्हासनगर-२

इसी कड़ी में हमारी मुलाकात हुई धनवंतरी क्लिनिक के डॉ. हेमंत कुमार कोकस से जो अपने प्राइवेट क्लिनिक में मंगलवार ५ मई से ही बिना किसी के बोले खुद ही मुफ्त में गरीब और मजबूर मजदूरों को मेडिकल सर्टिफिकेट देने का काम कर रहे है। सुनते है उनके विचार और मानवता का एक बोहोत बड़ा उदाहरण।


उल्हासनगर (आनंद कुमार शर्मा)

उल्हासनगर में पहले नॉवल कोरोना संक्रमण से हुई मौत के ३ दिन बाद भी कई सवाल यहाँ की जनता के मन मे है, सवालों के साथ डर का माहौल भी बना हुआ है। सवाल ऐसे है जिसका जवाब अभी तक न प्रशासन ने दिया है और न ही हॉस्पिटल प्रबंधक ने दिया। क्रिटीकेयर हॉस्पिटल के डॉ प्रकाश कौराने ने बताया कि महिला की मौत के बाद रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आयी थीं और हॉस्पिटल का नाम अफवाहों से बदनाम हो रहा है।

उल्हासनगर कैम्प क्रमांक ३ स्तिथ फॉलोवर लेन परिसर में रहने वाली  ८७ वर्षीय महिला की कैंप ३ के ही क्रिटीकेयर अस्पताल में मंगलवार २८ अप्रैल को मौत हो गयी थीं, जिसके बाद शहर में सोशल मीडिया और ऑनलाइन खबरों के माध्यम से बोहोत सारे सवालों के घेरे में आये क्रिटीकेयर अस्पताल के डॉ प्रकाश कौराने ने बढ़ते सवालों को  प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर डाल दिया। उन्होंने बताया कि मौत के बाद  प्रशासन और पुलिस को उसकी सूचना दी और सरकार की ओर से तय नियमों के तहत कार्यवाही की गई।

लेकिन आज भी कई सवाल है जिसका जवाब देने मे सब असमर्थ दिख रहे है।
इलाज के दौरान अगर महिला को कोरोना संदिग्ध पाया गया तो उसे तुरंत कोविद हॉस्पिटल में रेफेर क्यों नही किया गया.?

मौत के बाद कोरोना रिपोर्ट का इंतज़ार किये बिना महिला के शव को उनके परिजनों को क्यों सोपा गया.??

सबसे अहम सवाल ये है कि ३ दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक हॉस्पिटल को सील क्यों नही किया गया..???

जिस प्रकार ११ अप्रैल को उल्हासनगर ४ के शिवनेरी हॉस्पिटल, उसके डॉ प्रभु आहूजा औऱ पूरी हॉस्पिटल की टीम को कोविद जांच रिपोर्ट आने तक क्वारंटाइन किया था तथा हॉस्पिटल और परिसर को सील कर दिया गया था, उस तरह क्रिटिकेअर हॉस्पिटल, वहाँ के डॉक्टरों, नर्स और उसके स्टाफ को अलगिकरण - वलगिकरण क्यों नही किया गया ?.
शिवनेरी हॉस्पिटल में मरीज मात्र ४ घंटे उपचार के बाद कोरोना संदिग्ध होने पर उसको सेंट्रल हॉस्पिटल रेफेर कर दिया था लेकिन इस मामले में तो इलाज भी हुआ है और मौत भी।

क्यों सब इस मामले में चुपी साधे बैठे है...?????



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