राज्य सरकार द्वारा नवगठित समिती में 3 तज्ञ सदस्यों में इन महानुभावों का समावेश किया जाए।

 


        




       उल्हासनगर के अनधिकृत निर्माण नियमित करने के लिए आया अध्यादेश ठंडे बस्ते में पड़ता देख शहर के कैम्प 4 के रहिवासी और राज्य सरकार में सनदी अधिकारी श्री एस एस ससाणे व श्री आई एम मोरे जी की अध्यक्षता में उल्हासनगर संघर्ष समिती बनाई गई, समाजसेवी श्री सुभाष भानुशाली और वास्तुकला रचनाकार आर्किटेक्ट श्री अतुल देशमुख व अन्य मित्रों को समिती का हिस्सा बनाकर 2015 से तत्कालीन आयुक्त श्री मनोहर हिरे को निवेदन दिया गया कि उल्हासनगर शहर को नियमितीकरण कानून का सहारा लेकर हम 1000 करोड़ की कमाई करके दे सकते हैं,

तत्कालीन उप सभापति श्री माणिकराव ठाकरे जी के माध्यम से और प्रो. जोगेंद्र कवाडे जी को साथ लेकर समिती द्वारा राज्य सरकार के शहरी विकास विभाग सचीव श्री नितीन करीर जी से पत्रव्यवहार शुरू हुआ, फॉलोअप शुरू हुआ, उक्त कार्य मे विधानपरिषद सदस्य श्री रूपवन्त व श्री रणपिसे जी ने समिती सदस्यों का निरन्तर साथ दिया, अंततः 4 साल की लंबी लड़ाई के बाद महाराष्ट्र विधानपरिषद उपसभापती व विनंती अर्ज़ समिती प्रमुख श्रीमती निलमताई गोरे जी के माध्यम से मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव और शहरी विकास विभाग सचीव श्री नितीन करीर जी से बैठकों का दौर फिर से शुरू किया गया, 28 अगस्त 2019 को नीलम ताई गोरे द्वारा उल्हासनगर संघर्ष समिती को पत्र भेजकर विधानभवन मन्त्रालय में बैठक रखी गयी थी, काफी जद्दोजहद के बाद 2019 में इन सभी उल्हासनगर संघर्ष समिती पदाधिकारीयों की मेहनत रंग लाई और अध्यादेश की पुनरावृत्ति हुयी,

इसलिये अपील की जाती है कि राज्य सरकार द्वारा नवगठित समिती में 3 तज्ञ सदस्यों में इन महानुभावों का समावेश किया जाए।

ज्ञात हो कि, उल्हासनगर शहर के अनधिकृत विकासकामों को नियमाधिन करने का अधिनियम 2006 में सुधार सुझाव हेतु राज्य सरकार द्वारा समिती का गठन हुआ,

उल्हासनगर शहर के अनधिकृत विकासकामों को नियमाधिन करने का 2006 में पारित किये अधिनियम नुसार 1/1/2005 के पहले बने अनधिकृत निर्माणों को नियमित किया जा सकता है, उक्त अधिनियम को क्रियान्वित करने के लिये तकलीफें आनेके कारण कुछ अनधिकृत निर्माणों के अलावा अन्य निर्माण नियमाधिन नहीं हो पाये है,

सभी उचित निर्माण अड़चनें दूर करते हुये नियमाधिन हो सकें इसलिए महाराष्ट्र राज्य सरकार की तरफ से समिती का गठन हुआ है,

महसुल विभाग अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनीं समिती में नगरविकास विभाग के प्रधान सचिव 1 और 2 का समावेश है, सहकार आयुक्त पुणे, जिलाधिकारी ठाणे, जमाबंदी आयुक्त कोंकण, उल्हासनगर मानपा आयुक्त और 3 तज्ञ व्यक्तियों के साथ कुल 10 सदस्यीय समिती द्वारा उल्हासनगर शहर के अनधिकृत विकासकामों को नियमाधिन करने का अधिनियम 2006 में सुधार सुझाव दिये जायेंगे, 

समिती द्वारा मुख्य कार्य ये होंगे,

1) उल्हासनगर शहर के अनधिकृत विकासकामों को नियमाधिन करने का अधिनियम 2006 में निर्धारित प्रशमन शुल्क सन्दर्भ में अभ्यास करके सुझाव देना,

2) उल्हासनगर शहर के अनधिकृत विकासकामों को नियमाधिन करने का अधिनियम 2006 में नियमित हुये निर्माणों को नागरी पुनरुत्थान योजना, अर्बन रीनिवल स्कीम में समाविष्ट करना,

3) सरकारी और व्यक्तिगत ज़मीनों पर बने निर्माणों को नियमित करते समय उक्त ज़मीन का मालिकाना अधिकार इमारत के मकान मालिकों को मिल सके इसका अभ्यास करके सुझाव देना,

4) उल्हासनगर शहर के अनधिकृत निर्माणों का अभी जो अस्तित्व में है वो एफएसआई और पुनर्विकासक और निर्माण नियमित करने के लिये अनुकूल एफएसआई का अभ्यास करके सुझाव देना,

5) उक्त अधिनियम अंतर्गत नियमित हो रही इमारतो सोसायटी को डीम्ड कन्वेंस के लिये लगने वाले मुद्रांक शुल्क व जुर्माने के विषय मे अभ्यास करके सरकार को सुझाव देना,

6) उक्त समिती द्वारा 15 दिनमें अहवाल जमा करना है।

महाराष्ट्र के राज्यपाल महोदय के आदेशानुसार गठित यह समिती द्वारा उल्हासनगर शहर के अनधिकृत विकासकामों को नियमाधिन करने का अधिनियम 2006 के अंतर्गत नियमितीकरण प्रक्रिया सुचारू होने के लिये प्रयासरत रहना है।






Post a Comment

[facebook][blogger]

MKRdezign

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget