अंबरनाथ पूर्व की मोहन ज्योत हाऊसिंग सोसाइटी में कई साल से हो रहें भ्रष्टाचार की जांच का मिला आदेश।



                अंबरनाथ पूर्व कि बहुचर्चित और जानीमानी सोसाइटी, मोहन ज्योत हाऊसिंग सोसाइटी को कई सालों से हो रहे भ्रष्टाचार पर महीनों की मेहनत के बाद और विधायक बालाजी किणीकर के यशस्वी हस्तक्षेप से आखिरकार सहायक निबंधक ने जांच के आदेश दे दिए है। 
जनवरी २०२० में भी हमने इस रहवासी सोसाइटी में हो रहे भ्रष्टाचार और गत २-३ वर्षो से अनियमित तरीके से हो रहे व्यवहार पर प्रकाश डाला था तब अंबरनाथ के विधायक ने इस प्रकल्प को गंभीरता से लेते हुए कई पत्र व्यवहार किये और उसी के नतीजा ही कि अब सरकारी जांच का आदेश आने के बाद बड़े खुलासे होंगे। 

झूठे GST बिल, गैर कानूनन बैंक खातों में हस्ताक्षर बदली, बिना प्रबंध समिति मंज़ूरी के लाखों रुपए नकद निकालना, सोसाईटी के कुच्छ दस्तावेज़ों में हेरफेर, खजिनदार के बेटे को गैर व्यवाहरिक ११ लाख रुपए का ठेका ऐसे कई गैरकानूनी कृत्यों का पर्दाफाश हुआ जब सोसाईटी के जाग्रुक और जिमेंदार सद्सयों ने विधायक डाॅ बालाजी किणीकर से हस्तक्षेप का अनुरोध किया ।
अंबरनाथ सहकारी संस्था सहायक निबंधक ने महाराष्ट्र सहकारी संस्था अधिनियम धारा 83 के तहत मोहन ज्योत ग्रहनिर्माण संस्था के निलंबित सचिव और प्रबंध समिति के सदस्यों के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। अंबरनाथ में पिछले कई वर्षों में ऐसा पहली बार है कि 2017-18 और 2018-19 के लिए शासन ने इस तरह की जांच और विशेष लेखापरिक्षण का आदेश दिया है।
विधायक डॉ बालाजी किणीकर की सिफारिश पर सहयोग मंत्री श्री बालासाहेबजी पाटिल के निर्देशनुसार इस जांच का आदेश दिया गया है, जिन्होंने डीडीआर, ठाणे को दो साल के लिए जांच और विशेष लेखापरिक्षण का निर्देश दिया, क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर संस्था के धन के दुरुपयोग के आरोप थे। 2018 में अवैध चुनाव कराने, बैंक खातों के लिए हस्ताक्षर में अनधिकृत परिवर्तन किया गया था ।

सहायक निबंधक ने अपने आदेश में कहा है कि उपलब्ध प्रारंभिक सूचना के आधार पर, "मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि संस्था और उसके सदस्यों के हितों की रक्षा के लिए, सभी मामलों की जांच करना आवश्यक है।" इसलिए, "मैं मोहन ज्योत  ग्रहनिर्माण की प्रबंध समिति के खिलाफ जांच का आदेश देता हूं।" यह कहा जाता है कि उन्होंने अपने धोखाधड़ी कृत्यों को छिपाने के लिए या तो रिकॉर्ड नष्ट कर दिए या उनमें हेरफेर किया था और बैंक से बड़ी मात्रा में अनधिकृत नकदी निकाल ली थी।

धारा 83 के तहत "कार्यकारी समिति का गठन, समिति के कार्य और संस्था के वित्तीय कार्यस्थित की एक व्यापक जांच का प्रावधान है।" दो साल 2018 और 2019 की लिए नियमित ऑडिट रिपोर्ट को 22-9-2019 की सर्वसाधारण सभा में सदस्यों द्वारा बहुमत से खारिज कर दिया गया क्योंकि इनमें सच्चाई को दबा दिया गया था और उठाए गए प्रश्नों का संतोषजनक जवाब तत्कालीन सचिव किशन दुस्सेजा ने नहीं दिया। उचित ऑडिट और जांच को दबाने के लिए, किशिन दुस्सेजा जीएस भुल्लर, विजय संगतानी, दिलीप खेतवानी को इस्तेमाल करके अन्य सदस्यों को डराने और धमकाने लगे ताकि वे शासन कानूनी सहायता मांगना छोड़ दें।

२०-१०-२०१९ को आयोजित विशेष सर्वसाधारण सभा द्वारा नियुक्त की गई ३-सदस्यीय समिति ने यह साबित किया कि किशन हरजसमल दुस्सेजा, घनश्याम गोबिदराम लुंड, महेश वाधवा और अन्य लोगों की अगुवाई में भंग प्रबंध समिति को कई गैरकानूनी और अनियमितताओं में शामिल पाया गया। ३-सदस्यीय समिति ने फर्जी जीएसटी बिलों के रिकॉर्ड को निर्विवाद सबूत के साथ लाया था, जिसमें कोषाध्यक्ष के बेटे को 11 लाख रुपये का ठेका दिया गया था, नकद में 17 लाख रुपये निकाले, तीसरे पक्ष के भुगतान, जीएसटी और आयकर अधिनियम उल्लंघन शामिल थे ।

द न्यू आजादी टाइम्स की खबर का असर, आखिकार जांच के बाद होगा बड़ा खुलासा, पुरे शहर और बाकी सारी दूसरी रहवासी सोसाइटी में गलत तरीके से काम करने वालों के लिए यह आदेश एक उदहारण साबित होगा और इसके नतीजे से रहवासी सोसाइटी में हो रहे भ्रष्टाचार और अनियमितता में गिरावट आएगी।

















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