उल्हासनगर क्राइम सिटी रैंकिंग में ऊपरी तरफ तेजी से बढ़ता हुआ

उल्हासनगर : (आनंद कुमार शर्मा)
कल्याण, ठाणे या मुम्बई के मुकाबले 2020 कि सुरुवात से ही उल्हासनगर में क्राइम रेट का ग्राफ बहुत ही तेजी से उपरी तरफ बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से शहर की आम जनता परेशान है और व्यापारियों में और शहरवासियों में एक डर का माहौल पैदा होता जा रहा है।

1983 की फ़िल्म हादसा के मशहूर गीत  *ये बम्बई शहर हादसों का शहर है, यहाँ ज़िन्दगी हादसों का सफ़र है,  यहाँ रोज़-रोज़ हर मोड़-मोड़ पे होता है कोई न कोई हादसा*  के तर्ज पर उल्हासनगर भी हादसों का शहर बनता जा रहा है।

 यहाँ हर प्रकार के अपराध को अंजाम देने वाले अपराधी बिना किसी खोफ के आये दिन कोई न कोई अपराध को अंजाम दे रहे है, लूटपाट - छीनाझपटी, चोरी, महिलाओं और लड़कियों से छेड़छाड़, धोखाधड़ी - 420सी, हफ्ता वसुली, रिश्वतखोरी, ब्लैकमेलिंग, सरेआम रोड पर मारा-मारी से लेके हत्या तक ज्यादातर अपराध सामने आने से शहर के कानून व्यवस्था और शासन - प्रशाशन पर बहुत बड़ा सवालियां निशान खड़ा हो गया है। यहाँ हर तरह के ग़ैरकानूनी काम धंदा बिंदास हो रहे है, नशे के लत लगाने की प्रतिबंदक चीजें  गुटखा व्यापार, गांजा, चरस,  जैसी अमली चीजों खुलेआम बिक्री हो रही है । इनसे ऊपर देखें तो रात भर चलने वाले बार - ढाबे, मटके - जुए का व्यापार ऑरकेस्ट्रा बार, लॉजिंग-बोर्डिंग के नाम पर देह व्यापार, हुक़्क़ा पारलर आदि के कारण नई पीढ़ी इनका शिकार जल्दी हो रही है जिसकी वजह से अपराध को बढ़ावा मिल रहा है।

ज्ञात हो कि पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रमों को देखें, जैसे धुरु बार परिसर में दीपक भोईर हत्या कांड के आरोपी, या महानगर पालिका परिसर उज्वला शुक्ला का चैन पर्स चीन कर भागने के आरोपी हो, या विट्ठलवाड़ी पोलिस स्टेशन अंतर्गत गुलाब जामुन विक्रेता राजू बलिराम धेमला को तेज रफ्तार गाड़ी से उड़ाने के आरोपी हो या गोल मैदान परिसर में सुनील शर्मा के ऊपर मिर्ची पाउडर डालकर हतोड़ा मारने वाले अपराधी या फिर अमन टॉकीज रोड पर पवन जूस सेंटर के मालिक पर हुआ हमले में ज़्यादातर आरोपी नशे में थे औऱ काम उम्र के ही है।

 दूसरी तरफ ताजा खबरों में शहर के पुराने लोग जो कानून के जानकार है और जिनपर समाज को अच्छी राह दिखाने का जिम्मा है वो भी गलत आपराधिक मामलों में नजर आने लगे है, जैसे 420सी और फर्जी रिपोर्ट का मामला, या बिल्डर इदनानी से हफ्ता लेने और ब्लैकमेल करने के आरोपी शेरू गंगवानी, मोहन असरानी और उनके फरार साथी हो या नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ के आरोपी पत्रकार संपादक भरत तोलानी के आपराधिक मामलों के कारन उल्हासनगर शहर का क्राइम रेट चार्ट काफी ऊपर की ओर जाता दिख रहा है।

शहर के कुछ वरिष्ठ समाज सेवक और वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि अगर पोलिस और प्रशासन चाहें तो क्राइम पर पूरी तरह लगाम लगा सकते है लेकिन वो खुद होकर कुछ नही करते है उलट कोई आम जनता शिकायत लेके जाए तो उसे एक बार अनदेखा कर मामला दबा देते है। आज की जनता की माने तो शहर में जितने भी ग़ैरकानूनी काम-धंधे  हो रहे है उन सबको कानून और प्रशासन का साथ मिला हुआ है इसलिए इतने रफ्तार से अपराधिक गतिविधिया बढ़ रही है क्योंकि इनको पता है कि सब सेटिंग होती है और कुछ समय मे फिर से काम सुरु हो जाएगा। क्या इस जनता के आरोप को उल्हासनगर के प्रशासनिक अधिकारी दूर कर पाएंगे ये बहुत बड़ा सांवलिया निशाना है ?

उल्हासनगर शहर व्यापार के लिए प्रसिद्ध था लेकिन अब आपराधिक घटनाओं के लिए प्रसिद्ध होता जा रहा है, जहाँ एक और अच्छे अच्छे व्यापारी अपना आशियाना उल्हासनगर को छोड़ कर कल्याण, अंबरनाथ या कही और बसा रहे है और कारोबार भी दूसरी जगहों पर ले जाने की बातें करने लगे है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नही कि उल्हासनगर में सिर्फ अपराधियों का ही शहर माना जायेगा और यहाँ से सारे व्यापारी अलग हो जाएंगे।
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