उल्हासनगर मनपा और रहिवासियों की शुरू से ही सबसे बड़ी समस्या अगर रही है तो वो कचरा समस्या है।
आये दिन कचरा भूमि याने की डम्पिंग ग्राउंड में बदबु धार धुएं की शिकायतें मिलती है,
उसका कारण यही है कि नागरिकों द्वारा फेंका जानेवाला सारा कचरा जमाकर डम्पिंग ग्राउंड में मनपा द्वारा फेंका जाता है, जिसमे घरों से निकलने वाले रोज़मर्रा के गीले कचरे के साथ सुखे कचरे के रूप में प्लास्टिक, कपड़ा, गारमेंट चिंदी हो या फर्नीचर लकड़ी के टुकड़े भी होते है।
अम्बरनाथ नपा और कल्याण डोम्बिवली मनपा ने गिला कचरा और सुखा कचरा लोगों के घरों से ही अलग करके जमा करने की शुरुआत कबकी हो चुकी है। जिसे सेग्रेगेशन प्रक्रिया बोलते है, परंतु हमारी उल्हासनगर मनपा द्वारा यह प्रक्रिया की शुरूआत ना होने के कारण आज भी लोग अपना घरेलु गिला कचरा और दूकानों कारखानों से निकला सुख कचरा डम्पिंग ग्राउंड में फेंका जाता है, जिसका कोई उपयोग हो नहीं होता। देश की अन्य मनपाओं की तरह उल्हासनगर मनपा चाहे तो कचरे से धन कमा सकती है, गीले कचरे से खाद और सूखे कचरे को रिसाइकिल करके अन्य उत्पादन। ऐसा घनकचरा व्यवस्थापन प्रकल्प भी उल्हासनगर मनपा द्वारा उसाटने गांव में मिली 30 एकड़ जमीन में लगाया जाने की घोषणा हुई है,
परंतु जबतक नागरिकों, दुकानदारों, कारखानेदारों में अवेयरनेस करके कचरा सेग्रेगेशन की आदत नहीं डाली जायेगी तबतक यह समस्या जड़ से ख़त्म होती दिखाई नहीं देगी।
उपरोक्त विषय पर घनकचरा व्यवस्थापन नियम 2016 नुसार आयुक्त श्री निम्बालकर जी द्वारा उनके कार्यकाल 2018 में गिला कचरा सुखा कचरा लोगों के घरों से ही चुन कर जमा करने के लिये नीले और हरे रंग के डिब्बे बांटने की निविदा पास की थी, उसे सुचारू रूप से पुनः कार्यान्वित किया जाये, ऐसी मांग उमनपा स्थायी समिती सभापती श्री राजेश वधरया जी ने कचरा समस्या समाप्त करने के लिये सेग्रेगेशन की मांग की, साथ ही उन्होंने बताया की मात्र इसी वजह से हमारी उल्हासनगर मनपा स्वच्छ भारत अभियान की रैंकिंग में पिछड़ रही है।
स्थायी समिति ठराव क्रमांक 88/2.2.2018 उमनपा में पास हुआ था, जिसके तहत 1,72,000 सम्पत्ती धारकों को मनपा द्वारा हरे व नीले रंग के डिब्बे कचरा सेग्रेगेशन के लिये बांटे जाने थे, वो काम अधर में लटका होने की वजह से गिला कचरा सूखा कचरा एकसाथ जमा करके डम्पिंग ग्राउंड में जमा किया जाता है।
उमनपा सभागृह नेता श्री राजेन्द्र चौधरी जी ने कहा कि, सरकारी गाइडलाइंस के अनुसार प्रशासन और आरोग्य अधिकारी सभी को भरोसे में लेकर काम करें, अपने कर्तव्यों का पालन करें तो ये कचरा समस्या समूल नष्ट हो सकती है।
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